आजाद और आजादी
आजाद और आजादी


भारत की इन फिजाओं में याद रहूंगा,
आजाद था, आजाद हूं, आजाद रहूंगा।
इन काली घटाओं में, घुमड़ते बादलों में,
हर गरजते सावन में इन्कलाब कहूंगा।
आजाद था, आजाद हूं, आजाद रहूंगा।।
जीवन की परिभाषा सीखो,मुझसे ए दुनिया वालो।
प्यारे बच्चों पर जबरन,करतब के घुंघरू ना डालो।
सिखला दो जीवन जीना, खुद के दम पर मरना सिखला दो।
निकले उनके मुख से,मैं भी आजाद बनूंगा।
आजाद था, आजाद हूं, आजाद रहूंगा।।
देश भक्त था दिल से मैने, देश की भक्ति पाली थी।
देश की खातिर इस स्वतंत्र ने,खुद की गोली खा ली थी।
मैं आजाद पंछी, पिंजरे में कैसे रहूंगा।
आजाद था, आजाद हूं, आजाद रहूंगा।।
पर्याय है वो स्वतंत्रता का,अब उस पे नींद का साया है।
सोचो उसने खुद को खोकर, खुद को क्या पाया है।
वो सोया तब देश जगा "शुभ"संकल्पित हर बार कहूंगा।
आजाद था, आजाद हूं, आजाद रहूंगा।
आजाद था, आजाद हूं, आजाद रहूंगा।।