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Vivek Netan

Abstract Romance

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Vivek Netan

Abstract Romance

शायरी करते हो किस तरह

शायरी करते हो किस तरह

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मत पूछ भरी बज्म में के ये शायरी करते हो किस तरह

नाम तेरा आ जाएगा रुसवा हो जाएगी तू खामखा


तन्हाई का जोर बहुत है और दिल मेरा कमजोर बहुत है

ऐ चाँद बहुत हो गया रोज आ के उनके किस्से ना सुना


रहगुज़र बन के जब भी जाओगे हर राह में मुझे पाओगे

मील के पत्थर सा मिलूँगा तू चाहे जिस रास्ते से जा


खामोश तेरी नज़रों ने एक काम ग़जब का कर डाला

पहले थे हम दिल से तन्हा अब खुद से ही तन्हा ना बना


सुन तो जरा ए पागल हवा तन्हा छोड़ दे इन चिरागों को

जो पहले ही जल रहे हिज़्र में उन्हें ओर आज़माना क्या


मैं गैरों से नहीं हारा बस किसी अपने की मेहरबानी है

छोड़ किस्सा-ऐ-उल्फत का "कासिद" वो तेरे काबिल ना था



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