तू गालिब हो जाए
तू गालिब हो जाए
दुआओं में मेरी कुछ असर हो जाए
मैं याद करूं और वो जाहिर हो जाए
हो जाए इश्क़ अपना कुछ इस तरह
मैं मर्ज हो जाऊं और तू दवा हो जाए
इज़्तिराब चाहे लाख आए हमारे दरम्यां
मैं नूर बनू और तू माहताब हो जाए
चाह कर भी दूर कर पाए ना दुनिया
मैं दिल बनू और तू धड़कन हो जाए
बजूद हमारा ना हो एक दूजे के बिन
मैं रुक्का बनू और तू हर्फ़ हो जाए
सफ़रें ज़िन्दगी हमारा कटे यूँ संग
मैं आईना बनू और तू अक्स हो जाए
याद करे जमाना इश्क़ अपना इस तरह
मैं गजल बनू और तू गालिब हो जाए।