दिल चाहता है
दिल चाहता है
दिल के चाहने से क्या होगा,
जब मंजूरे रब न होगा,
दिल तो चाहे है, सब कुछ,
पर मिलता कहां है, कुछ भी।
दिल तो चाहे झुक जाए जमाना,
उसके दीदार में,
पर वह दम तो हो जानम,
उसके किरदार में।
दिल के अरमान तो रह जाते हैं,
धड़कते दिल के कोनो में,
जब वह समझ नही पाता है,
कितना प्यार है दोनों में।