दिल की कश्ती
दिल की कश्ती
आरजुएँ बहुत थी, तमन्ना भी चरम पर थी
चाहत थी कुछ कहुँ ,कुछ उनकी सुनूँ
खोल दू दिल के सब राज अपने
जान लूँ कहानी और आपके सपने
पर कश्ती टुट गई
नाव बिखर गया
उम्मीदों का बांध
दिल में ही सिमट गया
करूँ शिकायत दिल ने खुद से कहा
थे वो अपने ही मै शिकायत किससे करता।