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Piyush Goel

Abstract

4.5  

Piyush Goel

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काश ! एक बहन होती

काश ! एक बहन होती

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काश होती मेरी भी एक बहाना जो बचाती मुझे पापा की डांट से

काश होती कोई जो मुझे हर चीज़ समझाती कभी मार से तो कभी प्यार से

काश होती एक लड़की जिससे अपने मन की बाते खुलकर कह पाता

काश होती एक बहना जिसे अपना दुख - दर्द सुना पाता


होती बहन तो भैया दूज पर वो मेरे तिलक लगाती

राखी पर रेशम की डोरी से वो मेरी कलाई सजाती

काश होती एक बहना जिसके साथ बचपन में खेलता मैं

काश होती कोई जिसकी मम्मी से शिकायत करता मैं


होती बहना तो इस जग में अकेला महसूस मैं नहीं करता

होती अगर बहना मेरी तो यमद्वितीया से मैं नहीं डरता

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p> होती बहना अगर मेरी तो मिलता मुझे किसी का साथ इस जहां में

होगी अगर एक बहना मेरी तो करता पूरे भाई होने के अरमान मैं


होती कोई जो कभी लाड़ लड़ाती तो कभी लड़ती मुझसे

कभी कहती नहीं पर सबसे ज्यादा प्यार वो करती मुझसे

आपस में लड़ते बहुत पर एक दूजे के लिए दुनिया से लड़ जाते

एक दूसरे की विपदा के आगे हम डटकर अड़ जाते


अगर होती बहन तो दीवाली पर मिलकर दीप जगाते

घर को बनाते सुंदर और साथ मिलकर रंगोली बनाते

मम्मी - पापा , ताऊ - ताई सब है पर बहन की कमी है

बिना बहना के लगता है ऐसे जैसे खुशियों की हवा दूर कही थमी है


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