प्रेम: एक विश्वास
प्रेम: एक विश्वास
मैं वस्तु नहीं जो खो जाऊं
मैं रंगत नहीं जो उड़ जाऊं
मैं महक हूं
जो तुम्हें महका जाऊं।
मैं मौसम भी नहीं
जो बदल जाऊं
मैं कोई कांटा नहीं
जो तुम्हें चुभ जाऊं
मैं वह सुनहला सपना हूं
जो धीरे से तुम्हें सहलाऊं
और तुम्हारे सपने में आऊं
मैं बारिश भी हूं
जो धीरे से
तुम्हारे मन में बरस जाऊं
हां मैं वह चाहत हूं
जो तुममें ही खो जाऊं।

