STORYMIRROR

नवल पाल प्रभाकर दिनकर

Romance

3  

नवल पाल प्रभाकर दिनकर

Romance

सौंदर्या

सौंदर्या

1 min
6.9K


तेरी आँखें, तेरा चेहरा,

उतर गया सीने अंदर

तोड कर सारा पहरा।


चेहरे पर मद भरी नशीली आँखें

नुकीली नाक, लाल कमल पंखुड़ी से होंठ

शरारती हवा, बार-बार

टकरा कर छेडती तेरी

जुल्फ़ों की काली लट भी

इधर-उधर लहरा कर

बिखरती हुई चेहरे पर

और सुंदरता बढ़ा देती है

गोरे चेहरे को और गोरा बना देती है।


पूरा शरीर ढला हुआ

किसी तराशी मूर्ति-सा

हर जगह अलग-अलग

हर अंग अपनी जगह

शोभायमान हो रहा

हाथों का अपनी जगह

अपना अलग महत्व है।


टांगे भी खिली-खिली

हरे कपडों से ढकी

अपना महत्व जता रही हैं

आगे पीछे बढ़ कर ये

उन्हें ओर लहरा रही हैं

वाकई तुम क्या हो ?

क्या इंद्र की हूर हो

या फिर आसमॉं से

उतरी हुई तुम कोई परी हो ?


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance