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क्षणभर का जीवन

क्षणभर का जीवन

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जीवन पानी पर लहरों-सा

इस कोने से शुरू होकर जो

उस कोने पर समाप्त हो जाता।


लहरों के मध्य में ज्यूं

आती हैं अनेक बाधाएं

उन बाधाओं से टकरा जो

कभी न हार मानते हैं।

चींटी हो या हो भौंरा।


जीवन पानी पर लहरों-सा

इस कोने से शुरू होकर जो

उस कोने पर समाप्त हो जाता।


मुडक़र देखता कभी नही जो

दौड़ा जाता विपत्ति पार कर

मुखपर जिसके शिकन ना दिखे

कंटीली झाडिय़ों को बनाये मधुबन

बन जा मानव तू ऐसा ।


जीवन पानी पर लहरों-सा

इस कोने से शुरू होकर जो

उस कोने पर समाप्त हो जाता।


जीवन कठिनाईयों से भरा

देख इन्हें ना जाना डर

सहते-सहते कठिनाईयों को

आँखों में कभी अश्रु ना भर

ऐसे तो जीवन पार होगा।


जीवन पानी पर लहरों-सा

इस कोने से शुरू होकर जो

उस कोने पर समाप्त हो जाता।


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