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नवल पाल प्रभाकर दिनकर

Drama

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नवल पाल प्रभाकर दिनकर

Drama

तेरे आँचल में

तेरे आँचल में

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मैं कल ही तो आया था यहाँ

लगता है मुझे कुछ ऐसे,

जैसे अरसा गुजर गया।


तेरे आँचल का पाकर प्यार

भूल गया मैं ये संसार

मगर इस संसार में भी

रहना हांसी खेल नही,

यहाँ के अद्भूत लोग

हर चीज में निकालते दोष

इसलिए आया मैं तेरे पास

लेकर के मैं ये अरदास।


जा रहा हूँ हे प्रकृति देवी

यूँ ना हुओ तुम उदास,

मिला जो कभी फिर समय

झट आऊंगा मैं तेरे पास


- सुन इतना रोई प्रकृति

छलक पड़ा दूध आँचल से

देखकर स्नेह अश्रुधारा

रोने लगा हृदय मेरा

रोए सारे जीव जन्तु

ओर रोया ये आकाश


आ गई जैसे जान पत्थरों में

और रोए पहाड़ पत्थर

कौन कहता है पत्थर नही रोता

रोता तो बहुत है मगर

उसके रोने का हमें

एहसास नही है होता...।


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