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Manju Saini

Romance

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Manju Saini

Romance

शीर्षक:भीगी उजली सुबह हो तुम

शीर्षक:भीगी उजली सुबह हो तुम

1 min
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भीगी भीगी सी उजली सुबह हो तुम मेरी

तुम से ही होती शुरूआत सुबह की मेरी

तुम्हें देख उठती थी मैं खुलती थी आंखें मेरी

तुम्हारे साथ का सुकून तो यादों ने मेरी

भीगी उजली सुबह हो तुम…


मुझे ख्वाहिशें नहीं ज्यादा नहीं थी तुमसे

बस साथ चाहिए था उम्र भर का मुझे

क्यों तनहाइयों में छोड़ गए तुम मुझे

तुमसे ही तो दुनिया उजली थी मेरी

भीगी उजली सुबह हो तुम…


तुम से ही तो सारी ऋतुएँ प्यारी थी मुझे

तुम पर तो आने से ज्यादा आस थी मुझे

तुमको देखे बिना करार नहीं था मुझे

तुमको देखते बातें करते अच्छा लगता था मुझे

भीगी उजली सुबह हो तुम…


समय रुक सा गया है लगता है मुझे

अनंत स्नेहिल यादों में बसे हो मुझ में

लगता हैं साथ बैठ बाते करती रहूँ बस तुमसे

भीगी उजली सुबह हो तुम…


हर सुबह यादों का पिटारा ले उठती हूँ मैं

यादों ने तुम्हारी खोई रहती हूँ मैं

आ जाओ एक बार जाने न दूंगी इस बार मैं

एकांत में बैठ यही सोचती हूँ घंटों मैं

भीगी उजली सुबह हो तुम…



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