मुझे तो पनाह भी नहीं मिलती घड़ी भर की कहीं...तभी तो इन आंसुओं को पनाह नहीं मिलती इस जहान में...... मुझे तो पनाह भी नहीं मिलती घड़ी भर की कहीं...तभी तो इन आंसुओं को पनाह नहीं मिलत...
यूं मेरे जिस्म और लब पर तेरे निशां छोड़ जाना क्या यही प्यार है ? यूं मेरे जिस्म और लब पर तेरे निशां छोड़ जाना क्या यही प्यार है ?
सिसक कर गिन रही है गिनतियाँ ज़ुबाँ आएगा वक्त और बयाँ होगा किस्सा। सिसक कर गिन रही है गिनतियाँ ज़ुबाँ आएगा वक्त और बयाँ होगा किस्सा।
इस कदर की पत्र लिख कर भी दास्तां अपनी अधूरी बुनते रहे। इस कदर की पत्र लिख कर भी दास्तां अपनी अधूरी बुनते रहे।
एक सजीव, निर्दोष कली को सज़ा क्यों सज़ा क्यों ? एक सजीव, निर्दोष कली को सज़ा क्यों सज़ा क्यों ?
वक्त आने पर इसी एकांत का, डटकर सामना करती है औरतें वक्त आने पर इसी एकांत का, डटकर सामना करती है औरतें