महफ़िलों में आज भी मुस्कुराते चेहरों में तुम नजर आते हो ! महफ़िलों में आज भी मुस्कुराते चेहरों में तुम नजर आते हो !
यूं निराश काले बदल छाए है इस हँसते नीले आकाश पर की मीलों तक बंजर है ज़मीन यूं निराश काले बदल छाए है इस हँसते नीले आकाश पर की मीलों तक बंजर है ज़मीन
अब कहाँ किसी की सुनती है ये दुनिया। मिटाकर वजूद हरियाली का, दम्भ से है मुस्कुराती। अब कहाँ किसी की सुनती है ये दुनिया। मिटाकर वजूद हरियाली का, दम्भ से...
फिर भी मैं पराई हूं तुम्हारे लिए ! फिर भी मैं पराई हूं तुम्हारे लिए !
आसमाँ तू कब तरस कर मेरे शहर पर रहम बरसाएगा। आसमाँ तू कब तरस कर मेरे शहर पर रहम बरसाएगा।
इस कदर की पत्र लिख कर भी दास्तां अपनी अधूरी बुनते रहे। इस कदर की पत्र लिख कर भी दास्तां अपनी अधूरी बुनते रहे।