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Ravi Purohit

Romance

5.0  

Ravi Purohit

Romance

जी लूँ कुछ पल मेरा होना

जी लूँ कुछ पल मेरा होना

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मन के गुलाबी गाल

कुछ और हो जाते हैं

सूर्ख


जब तुम्हारा नेह बीज

फूट पड़ता है

नव कौंपल बन

इस सूखी बंजर धरती पर

और मैं जी लेती हूँ


कुछ पल और

मेरा जीवित होना

फिर भी मैं पराई हूं

तुम्हारे लिए !


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