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Ravi Purohit

Others

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Ravi Purohit

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मन झूमे-करे मनुहार

मन झूमे-करे मनुहार

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प्रीत-सनी

अहसास अल्पना

दिल में राग-मल्हार,

साँसों का 

दरवाजा खोले

पौरम-पौर मनुहार !


नील समंद-सी

गहरी आंखें

विरही मन-विहार,

अमरलता-सी

लिपटी प्रीति

धक-धक मन मनुहार !


देह है चरखा

भाव की पूणी

गड्डमड्ड लोक-व्यवहार,

नेह बावरा

पल-पल ताके

झूर-झूर मनुहार !


होठ मांडणे

स्वस्तिक दन्ति

प्रणय-शंख संस्कार,

पलकों में बदरा

करवट-ज्यों बिजली

देह-विरहन मनुहार !


सुनो रूपसी

ओ सुलक्षणा

तुझ बिन सूने सब घर-द्वार,

प्रीत पगलिये

अब तो कर दो

मन झूमे-करे मनुहार !



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