नुमाइश
नुमाइश
यूं बंद कमरे में
मुझसे इश्क़ जताना
जिस्मों के खेल को
इश्क़ का पहलू बताना
क्या यही प्यार है ?
सुना था कभी
इश्क़ कुछ रेशमी लाल
कुछ महताब की चाँदी सा
कुछ गुण सा
कुछ नमक सा
मिश्रण होता है।
मगर असराऱ ए इश्क़
तुमने गिनाए
मन भ्रमित सा है अब।
यूं समाज में
अनदेखी करना
खुद को मेरे सामने
अजनबी सा रहना
और देख एकांत मेरी
कलाई मरोड़ना
प्रेम उमड़ना और
यूं मेरे जिस्म और लब पर
तेरे निशां छोड़ जाना
क्या यही प्यार है ?