... परस्पर विश्वास
... परस्पर विश्वास
जिस समाज में सच को
ही दिया जाएगा वनवास
वहां भला कैसे कायम हो
सकता है परस्पर विश्वास
राजा को भाने लगें सिर्फ
वाहवाही के नारों के शोर
फिर भला सत्य का संधान
क्यों करेंगे लोग अन्य और
झूठ चाहे जितना बढ़े पाकर
अपने ही अनुकूल माहौल
उसकी उम्र तब तक के लिए
सीमित जब तक खुले न पोल।
