जय जय जय कृष्ण कन्हैया
जय जय जय कृष्ण कन्हैया
जय जय जय
कृष्ण कन्हैया
सारे जगत के
तुम रखवैया
तेरे हाथों सौंप दी
मैंने जीवन नैया
जय जय जय कृष्ण कन्हैया ...
मथुरा, वृंदावन का कण
कण तेरी लीला का साखी
तुमने अपने भक्तों की
पग पग पर लाज राखी
सारा ब्रज पूजे तुमको
कहकर महारास रचैया
जय जय जय कृष्ण कन्हैया ...
गऊओं और गोपालों से
अजब ही प्रीति निभाई
नंद औ यशोदा के ममत्व
की जग में कीर्ति बढ़ाई
देवकी और वसुदेव के सुत
तुम ही कालिया के नथैया
जय जय जय कृष्ण कन्हैया
पूरे ब्रज को तुमने जब तब
अपने
कदमों से ही नापा
जन जन के मन में बसकर
गढ़ी प्यार की नव परिभाषा
गोवर्धन को उठा बने तुम
इंद्र के अभिमान मथैया
जय जय जय कृष्ण कन्हैया
मथुरा के कण कण में अब
भी झलके तेरी ही परछाईं
तेरे मुरीद यहां आकर पाते
हैं क्षण क्षण को सुखदायी
हर लब पर इतराते अब भी
तुम और बलदाऊ भैया
जय जय जय कृष्ण कन्हैया
तुम्हरी महिमा गा अमर हो
गए अगणित कथा गवैया
डूबत भंवर बचावत नैया
जय जय जय कृष्ण कन्हैया
तेरे यश को गाकर पाए मन
ऊर्जा की सुखद पुरवैया
जय जय जय कृष्ण कन्हैया