देश के रास्तों पर शूल
देश के रास्तों पर शूल
जो बोएंगे वो ही काटेंगे
इसे भारतवासी गए भूल
अपने कर्मों से ही बिछाते
गए देश के रास्तों पर शूल
दिन पर दिन बढ़ता रहा इस
देश में अंग्रेजी का ही जाल
बुद्धिजीवियों के सभी बच्चे
अंग्रेजी पढ़ करते रहे धमाल
साल में एक दिन ही जताते
वो हिंदी के प्रति अपना प्यार
ऐसे में भला कैसे दुनिया भर
में होगा हिंदी का सही विस्तार
आज का सपना बस यही है कि
सर्वत्र हिंदी की हो जय जयकार
पूरी दुनिया में सतत बढ़ता रहे
हिंदी साधकों का कारवां लगातार