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Arun Gondhali

Tragedy

4  

Arun Gondhali

Tragedy

फर्क

फर्क

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बस, इतना ही फर्क पड़ा है,

सच दिल में और झूठ जुबां पर अड़ा है।


बस, इतना ही फर्क पड़ा है, 

दौलत है पर 

सुकून रूठा हुआ है।


बस, इतना ही फर्क पड़ा है,

इंसान अच्छा है 

पर विश्वास खो गया है।


बस, इतना ही फर्क पड़ा है,

लूट ना जाए इसलिए 

सेकंड ओपिनियन जरूरी है।


बस, इतना ही फर्क पड़ा है,

दिल में कुछ और दिमाग में कुछ चल रहा है।


बस, इतना ही फर्क पड़ा है,

चेहरे पर मुस्कुराहट आती थी,

अब दिखानी पड़ती है।


बस, इतना ही फर्क पड़ा है,

पहले कंधे मिल जाते थे,

अब शववाहिनी जरूरी है।



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