STORYMIRROR

Arun Gondhali

Fantasy

4  

Arun Gondhali

Fantasy

रातरानी

रातरानी

1 min
393

गुजरता हुं उस गलीसे देर श्याम जब भी

एक खुश्बू जरूर महसूस करता हुं

चलते कदम बेबस हो रुक जाते है

ठंडका शरारा गुजर जाता है

ज़मीनमें पांव गड़ जाते है

शायद कोई रोक रहा हो 

आंखे बंद होती है फिर वही 

एक अजीबसी आहट होती है।


अब कुछ महोबतसी हो गई थी

उस गलीसे, उस खुश्बूसे

ज़हनमें बस गई थी महीनोसे।

महीनो बादकी वापसी फिर बैचेन कर गई,

उस गली तक ले गई 

वक्त आधी रातका 

थम गए पांव फिर वही बात हुई

खुश्बूका वो झोंका आया

आंखे बंद हो गई।सामने वो खूबसूरत खडी थी

परी थी या कोई नूर थी 

छलकते आंसू कुछ बयां कर रहे थे


आंसू पोंछने हाथ जो मैंने उठाए

हाथों में कुछ फूल रख दिए

जो ताज़ा थे, उस खुश्बू की याद दिला रहे थे

आंखे खुली तो सामने कोई नहीं था

सिर्फ रातरानी के ताज़ा फूल हथेली में थे।

सूखे टहेलिया, 

सूखे पत्ते कुछ मुरझाए फूल

राह के किनारे पड़े रो रहे थे। 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Fantasy