खुबसूरत यामिनी
खुबसूरत यामिनी
देखो देखो इस खुबसूरत यामिनी को लूक छिप खेलती मनभाविनी को,
थोड़ी इठलाती थोड़ी शर्माती सब के दिलो मे लाखो ख्वाब सजाती वो,
देखो देखो इस खुबसूरत यामिनी को।
चांद सा रौशन सुन्दर मुखरा , काले केशुओंं मे सितारों का गजरा,
तन पर ओढे आसमानी साड़ी, जुगनूओंं से सजी आंचल लहराती,
फूलों की कंगन खनकाती ,चांदनी की पायल छनकाती,
मंद मंद मुस्कुराती वो, हवा के धुनो पर मीठा संगीत सुनाती वो,
बलखाती लहराती वो, हवाओं में फूलों की खुशबू घोल जाती वो,
थोड़ी इठलाती थोड़ी शर्माती, सब के दिलों में लाखों ख्वाब सजाती वो।
शीतलता को पास वो लाती, मन की ज्वाला दूर भगाती,
सबके पलकोंं पे वो सपने सजाती, हर दिल में वो अरमान जगाती,
अपनी कजरारी आँखों से, ये ना पूछो किस - किस पे वाण न चलाती वो,
देवतागण हो या मानव , सबको मंत्रममुग्ध कर जाती वो,
छम छम कर के आती वो, सबका मन मोह ले जाती वो,
थोड़ी इठलाती थोड़ी शर्माती सबके दिलों में लाखों ख्वाब सजाती वो,
जब भी पूछा मैंने उससे, उसकी इस खुबसूरती का राज,
उसने दिया हंसकर हमेशा बस एक ही जबाब,
मेरी खुबसूरती का बस एक यही राज , मेरा खुद पे अडिग आत्मविश्वास,
ईश्वर ने दिया मुझे ये अनूठा वरदान, जिसपर मुझे है पूरा अभिमान,
ये कहकर खिलखिलाती वो, फिर हवाओं में कहीं गुम हो जाती वो,
थोड़ी इठलाती थोड़ी शर्माती सब के दिलों में लाखों ख्वाब सजाती वो,
देखो देखो इस खुबसूरत यामिनी को लूक छिप खेलती इस मनभाविनी को।