अनंत प्रेम
अनंत प्रेम
जाने क्यों अहसास होता है
मैंने तुमसे अनगिनत रूपों में प्यार किया है,
अनगिनत बार, बेशुमार प्यार
जिंदगी के बाद भी, उम्र के बाद भी
सनन-सनन हवा की तरह बहता हुआ, हमेशा के लिए
मेरे मंत्रमुग्ध बावरे मन ने
गीतों का इक माला बनायी, टूटी फिर बनायी
जिसे मैंने मोहब्बत की अंतिम निशानी समझकर
तुमको उपहार के रूप में भेंट की थी
जिसे लिया तुमने मेरा उपहार मानकर
अलग-अलग रूपों में सजाकर गले में पहनते हो
जिंदगी के बाद भी, उम्र के बाद भी हमेशा के लिए
जब कभी प्रेम के धुंधले पन्नों को पलटती हूँ
इतिहास की परतों में सिसकते हुए
उसके युगों-युगों पुराने गहरे दर्द
एक अलग प्राचीन कहानी की याद दिलाती हैं
अतीत की जितनी गहराई में डुबकी लगाती हूँ
सिर्फ तुम्हारी ही तस्वीर नज़र आती है
वक्त के अन्धकार को चीरते हुए, धूमकेतु की
रौशनी में नहाये हुए, एक यादगार छवि बनकर
चुपके-चुपके मेरी रूह में उतर जाते हो
जिंदगी के बाद भी, उम्र के बाद भी हमेशा के लिए
तुम और मैं इश्क़ की उस धारा में बहे हैं
जो हिमालय के सीने से फिसल कर
अहसासों के समंदर में जाकर समा जाती है
हमने प्रेम की भाषा को नए पंख दिए
कुछ मीठे, कुछ नमकीन दर्द साझा किये हैं
कभी मिलन की तड़प, कभी जुदाई के ग़म
कभी रूठ कर, कभी मनाकर
अपनी मोहब्बत को नए-नाये आकार दिए हैं
जिंदगी के बाद भी, उम्र के बाद भी हमेशा के लिए
इस पवित्र रिश्ते ने तुम्हारे चरणों में आज
सब कुछ अर्पित कर दिया है
हर सांस, हर धड़कन अब तुम्हारी है
कल हम रहें न रहें, रहेगा हमारा अनवरत प्रेम
हमारी मुलाकातों की हर याद विलीन हो जायेगी
आने वाले प्रेमियों के आंसुओं के सागर में
हर कवि हमारे प्रेम के गीत लिखकर गुनगुनाएगा
मंत्रमुग्ध होकर इश्क़ की हरी ज़मीन पर
जिंदगी के बाद भी, उम्र के बाद भी हमेशा के लिए।