इंतज़ार 3
इंतज़ार 3
उस रोज जब हम दोनों
इंतजार कर रहे थे
तुम अपने उस चाहने वाले का
और मैं तुमसे अपने जज्बात बताने का
काफ़ी देर तक बैठे रहने के बाद
जैसे ही मैं तुमसे अपने दिल की
बात बोलने के लिए आ रहा था
वैसे ही तुम्हारे चेहरे पर अचानक से
एक मुस्कान आ गई थी
मुझे लगा कि वो मुस्कान मुझे
अपनी तरफ आता देख कर आईं है
मगर वो मुस्कान उस शख्स के लिए
थी जिसका तुम रोज़ यहां इंतजार करती थी
मगर कुछ ही देर में तुम्हारी वो
मुस्कान भी गायब हो गई जब
तुमने उसके हाथों में किसी और
का हाथ देखा था ये देख कर
तुम्हारी उन सागर जैसी आंखो से
आंसुओं के मोती छलक आए थे
मुझे ये देखकर खुशी भी हुई थी
लेकिन उससे भी ज्यादा दुःख हुआ
ख़ुशी इस बात कि तुम मेरी हो सकती हो
और दुःख इस बात के लिए था कि
तुम्हारी आंखों में आंसू आ गए थे
और उस दिन दोबारा से मैं
बेबस महसूस कर रहा था कि
मैं ना तो तुम्हें ये बता सकता था
कि मैं तुमसे कितना प्यार करता हूं
और ना ही मैं तुम्हें रोने के लिए
अपना कंधा दे सकता था
तुम उस दिन जब आंखों में आंसू
लिए घाट से गई तब तुम्हारी वो
सिगरेट की डिब्बी घाट पर ही रह गई
जिसे मैंने उठा कर अपने पास रख लिया
उस दिन के बाद से मैं रोज
घाट पर तुम्हारा इंतजार करता हूं
कि कभी तो तुम दोबारा से आओगी
क्योंकि मैंने ये सुना था कि ये शहर
किसी को भी अपने से दूर नहीं होने देता है;
बस सिर्फ एक तुम्हारे इंतजार में
मैंने भी चाय और सिगरेट से
भी मोहब्बत कर ली क्योंकि तुम तो
मुझसे दूर हो मगर ये हमेशा मुझे
तुम्हारी याद दिलाते रहते हैं।