STORYMIRROR

Ultimate Loser

Romance

4  

Ultimate Loser

Romance

नज़रों की बातें

नज़रों की बातें

1 min
499

जब भी मैं उससे मिलने जाता हूं

शब्दों में नहीं महज़ आंखे से बतियाता हूं


मेरे हर सवाल का वो बड़ी आसानी से जवाब देती है

अपनी उन आंखों के इशारे से हर मुश्किल हल कर देती है


ज्यादा पढ़ी लिखी हुई नहीं है वो मगर ना जाने

कैसे अपनी आंखों से मेरे चेहरे को पढ़ लिया करती है


ज़ुबान से तो कुछ नहीं कह पाती है वो

मगर आंखों से बिना बोले ही सब कह देती है


सोलह श्रृंगार की कोई ज़रूरत नहीं है उसे

दिल चुरा लेती है जब भी वो आंखो में काजल लगाती है


ख़ुशी हो या फिर दिल में किसी बात की टीस हो

छुपाना चाहती तो है मगर उसकी आंखे सब बयां कर जाती है


आवाज़ नहीं दी है भगवान ने उसे फिर भी

अपनी उन बड़ी बड़ी आंखों से वो सारी बात करती है


कितना चाहता हूं उसे मैं ये उसे बता नहीं सकता

मगर फिर भी वो कभी भी शिकायत नहीं करती है


एक दूजे के साथ ना होकर भी हम पास रहते हैं

मिलने की तो चाहत बहुत है मगर मिल नहीं पाते है


मगर फिर भी जब भी मैं उससे मिलने जाता हूं

शब्दों में नहीं महज़ आंखें से बतियाता हूं।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance