रेल की पटरियां
रेल की पटरियां
क्या कभी तुमने रेल की
वो पटरियां देखी है?
कभी कभी तो मुझे लगता है
कि मेरी जिदंगी भी इन्हीं
रेल की पटरियों जैसी है;
जैसे ये रेल की पटरियां
तो हमेशा साथ साथ चलती हैं
मगर ये दोनों कभी भी मिल
नहीं पाती है, ठीक उसी तरह
से मैं भी सबके साथ तो चलता हूं;
मगर फिर भी कभी किसी से
जुड़ नहीं पाता हूं, सबके साथ
रहते हुए भी मैं अक्सर अकेला रहता हूं;
जब भी कोशिश की है मैंने किसी
के पास आने की तभी अचानक से
वो मेरे पास आकर भी बिना
मुझसे मिले दूर चला जाता है;
और मैं उसे दूर जाता देखने के
सिवा कुछ भी नहीं कर पाता हूं;
कुछ पल के इस सफ़र मे भी मैं
हर किसी के साथ जुड़ा हुआ महसूस
करता हूं, लेकिन इन पटरियों की तरह
ही किसी के भी साथ जुड़ नहीं पाता हूं!