कोई और देखे
कोई और देखे
कहने को तो आज भी मैं पहले जैसा दिखता हूं
अब मैं खुद को बदलने की कोशिश कर रहा हूं;
ना जाने क्यों मैं ऐसा बनता जा रहा हूं
लोगों को कमाते कमाते खुद को खोता जा रहा हूं;
आस पास लोगों की भीड़ जुटाकर
भी मैं तन्हा और अकेला ही रहा हूं;
खुद पर हंसते हंसते शायद मैं लोगों
के बीच हंसी का पात्र बनता जा रहा हूं;
ना जाने किस गलती की सज़ा है ये
जो मैं अब हंस नहीं रहा महज़ मुस्कुरा रहा हूं;
अब धीरे धीरे एहसास होने लगा है मुझको
के मैं अपने नाम को चरितार्थ करता जा रहा हूं;
सबके साथ रहने की ये बहुत बड़ी कीमत
अपनी खुशियों से ही चुकाता आ रहा हूं;
बस अब बहुत सह लिया है मैंने अब से मैं
खुद की खुशियों को तरजीह देने जा रहा हूं;
कहने को तो आज भी मैं पहले जैसा दिखता हूं
अब मैं खुद को बदलने की कोशिश कर रहा हूं;
ना जाने क्यों मैं ऐसा बनता जा रहा हूं
लोगों को कमाते कमाते खुद को खोता जा रहा हूं।