फिर से जियेंगे उस मौत को, जिसे लोग ज़िंदगी कहते हैं ! फिर से जियेंगे उस मौत को, जिसे लोग ज़िंदगी कहते हैं !
मैं अक्सर हजारों की भीड़ से घिरा रहता था फिर भी अकेलेपन के एहसास में जीता था। मैं अक्सर हजारों की भीड़ से घिरा रहता था फिर भी अकेलेपन के एहसास में जीता था।
आये खाली हाथ जाना खाली हाथ आये खाली हाथ जाना खाली हाथ
मैं खुद को अब आईने में पहचान नहीं पाती। मैं खुद को अब आईने में पहचान नहीं पाती।
पीकर होश में रहता हूँ मैं, ना पीऊँ तो दर्द में होता हूँ मैं, पीकर होश में रहता हूँ मैं, ना पीऊँ तो दर्द में होता हूँ मैं,
बढ़ती उम्र के पड़ाव पर आकर बदल जाता है कितना कुछ, बच्चे सभी हो जाते हैं अपने अपने बढ़ती उम्र के पड़ाव पर आकर बदल जाता है कितना कुछ, बच्चे सभी हो जाते हैं ...