कि उसकी आत्म जागीर किसी सनामी-अनामी- गुमनामी की मोहताज नहीं। कि उसकी आत्म जागीर किसी सनामी-अनामी- गुमनामी की मोहताज नहीं।
मैं खुद को अब आईने में पहचान नहीं पाती। मैं खुद को अब आईने में पहचान नहीं पाती।
अपना आशियाना बनाते नज़रों से दूर सितारों में बस जाते। अपना आशियाना बनाते नज़रों से दूर सितारों में बस जाते।
बेरंग सी ज़िन्दगी भी रंगीन हुई, सादे जीवन में भी स्वाद आया। बेरंग सी ज़िन्दगी भी रंगीन हुई, सादे जीवन में भी स्वाद आया।
लबों पे ठहरा एक खोया सा शब्द बाहर आने को आतुर हो जाता है। लबों पे ठहरा एक खोया सा शब्द बाहर आने को आतुर हो जाता है।
तुमको शायद ये चिंता सताने लगी है कही हम एक दुसरे के साथ खुश नहीं रह पाए तो तुमको शायद ये चिंता सताने लगी है कही हम एक दुसरे के साथ खुश नहीं रह पाए तो