गुमनाम गुमनाम
एक उम्मीद को उजला सा कर देते हैं। एक उम्मीद को उजला सा कर देते हैं।
और बेचने वाले चेहरों की उदासी है कि छुपाए नहीं छुपती। और बेचने वाले चेहरों की उदासी है कि छुपाए नहीं छुपती।
मतला = गज़ल की पहली दो पंक्तियाँ, मकता =गज़ल की अन्तिम दो पंक्तियाँ मतला = गज़ल की पहली दो पंक्तियाँ, मकता =गज़ल की अन्तिम दो पंक्तियाँ
सजा लो न मुझे सीपी में मोती सी मन की संदूक में बिखर न जाऊँ कहीं माला से बिछड़कर सजा लो न मुझे सीपी में मोती सी मन की संदूक में बिखर न जाऊँ कहीं ...
हम तो नारों में कल भी 'जय जवान जय किसान' थे, और आज भी 'जय जवान जय किसान' हैं। हम तो नारों में कल भी 'जय जवान जय किसान' थे, और आज भी 'जय जवान जय किसान' ह...