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Ajay Prasad

Others

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Ajay Prasad

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न सीखा

न सीखा

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गजलों को मेरी तू तहजीब न सीखा

मतला, मकता, काफ़िया, रदीफ न सीखा।


कितनी बार गिराया है मात्रा बहर के वास्ते

कैसे लिखते हैं दीवान ये अदीब,न सीखा।


देख ले शायरी में शायरों का हाल क्या है

किस कदर हैं दौलत से ग़रीब न सीखा।


महफ़िलें, मुशायरें, रिसाले मुबारक हो तुझे

मशहूर होने की कोई तरक़ीब न सीखा ।


गुजर जाऊँगा गुमनाम, तेरा क्या जाता है

शायरी मेरी है कितनी बद्तमीज़ न सीखा।


हक़ीक़त भी हक़दार है सुखनवरी में अब

ज़िक्रे हुस्नो इशक़, आशिको रकीब न सीखा।


मेरी आज़ाद गज़लों पे तंज करने वालों

मुझे कैसे करनी खुद पे ,तन्कीद न सीखा ।


पढ़तें है लोग मगर देते अहमियत नहीं

अजय यहाँ है कितना बदनसीब न सीखा



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