मतला = गज़ल की पहली दो पंक्तियाँ, मकता =गज़ल की अन्तिम दो पंक्तियाँ मतला = गज़ल की पहली दो पंक्तियाँ, मकता =गज़ल की अन्तिम दो पंक्तियाँ
चन्द गलियां हैं सीधी, चौराहे पर ओझल रहती है। चन्द गलियां हैं सीधी, चौराहे पर ओझल रहती है।
हर पल में मेरे, रहता है तू ही बस चाहें तुझे, चाहे जाएं कहीं हर पल में मेरे, रहता है तू ही बस चाहें तुझे, चाहे जाएं कहीं
ठोकर लगी तो गिर पड़े फिर दर्द लेकर गली से चले, ठोकर लगी तो गिर पड़े फिर दर्द लेकर गली से चले,
तेरी सूरत तेरे कानों की बाली मुझे दीवाना बना देती है तेरी सूरत तेरे कानों की बाली मुझे दीवाना बना देती है