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संजय असवाल "नूतन"

Fantasy

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संजय असवाल "नूतन"

Fantasy

जब से इस दिल ने.....!!!

जब से इस दिल ने.....!!!

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जब से इस दिल ने तेरा नाम लिया

मैंने सांसों की डोर तुमसे जोड़ी है

देख अक्स अपना तेरे आंखों में

अपनी हर खुशी तुझ पे ओढ़ी है।


तेरी चाहत तेरी दीवानगी लिए

मैं बस मारा मारा फिरता हूं

खुशियां दूं तुम्हें बेशुमार

ए जिंदगी चल साथ तेरे मैं चलता हूं।


तेरी यादों की महफिलें समेट कर

मैं इस दिल पर लिख आया हूं

मिटा न पाएगी वक्त की धूल

ऐसा आशियां ही बुनकर लाया हूं।


तेरी सूरत तेरे कानों की बाली

मुझे दीवाना बना देती है

भूल जाता हूं अक्सर मैं खुद को

जब से तेरी मूरत दिल में बसा ली है।


तू इनकार कर या अब इजहार

तेरी ही सोहबत में बैठा रहता हूं

तेरी एक झलक पाने बेताब मैं

तेरी तस्वीर से भी बातें करता हूं।


ख्वाब में मिलो चाहे पर दीदार कर लेना

नाराज भले हो पर बातें चार कर लेना

माना आशिक बहुत हैं भरी महफिल में तेरे

नादाँ मेरे इश्क की भी कद्र कर लेना।


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