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Mohanjeet Kukreja

Romance Fantasy

4.3  

Mohanjeet Kukreja

Romance Fantasy

तज्वीज़

तज्वीज़

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242


१)

तुम अगर ख़ुश्बू बनके ज़रा बिखर गई होती

शायद मेरी ज़िन्दगी भी कुछ निखर गई होती

बस एक तेरी महक की हमेशा ही कमी रही 

सीने में एक ख़लिश और आँखों में नमी रही 

मेरी बेताबी का लेकिन तुझ पर ना असर हुआ

ना पूछ तुझ बिन कैसे मेरा जीवन बसर हुआ  

क्या बताऊँ किस मुश्किल से मेरा वक़्त कटा

एक ही वुजूद था, जाने कितने हिस्सों में बटा ! 


२)

कोई लम्हा ना गुज़रा जिसमें तेरी याद ना थी

तेरी ही वो आरज़ू थी अगरचे फ़रियाद ना थी

तुझको ही तो ढूंढा अपनी उस छटपटाहट में

तेरी ही उम्मीद रही दरवाज़े की हर आहट में

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olor: rgb(0, 0, 0);">क्यों हमेशा लगता रहा तुम कभी तो आओगी

जैसा छोड़ा था तुमने मुझको वैसा ही पाओगी

अक्सर शाम ही से मैंने चराग़ों को जलाए रखा

तेरी आमद के भरोसे दिल को यूँ बहलाए रखा...


३)

गिले-शिकवों को कोई यूँ दिल से लगाता नहीं

छोटी सी किसी बात पर छोड़ कर जाता नहीं

मैंने तो ख़ैर इस ज़िद में काफ़ी कुछ गवाया है 

तुम अपने दिल से पूछो क्या खोया क्या पाया है

गर मैं ग़म-ज़दा हूँ तेरा भी हाल कुछ ठीक नहीं

सुना है बिल्कुल तन्हा हो कोई भी शरीक नहीं   

आओ दोनों यह सुख-दुःख का जाम पी लेते हैं

जो बची है ज़िन्दगी चलो एक साथ जी लेते हैं !!




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