मोहनजीत कुकरेजा (eMKay)

Romance

4.0  

मोहनजीत कुकरेजा (eMKay)

Romance

मोहब्बत हो गयी है !

मोहब्बत हो गयी है !

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बरसों किया है इंतजार...

तुम्हारा कुछ इसी तरह से,

लहरों के उतार-चढ़ाव...

और डूबते हुए सूरज को,

देखते इसी समुद्र-तट पर !


शिकायत वादा-ख़िलाफ़ी की

हो भी तो किस तरह ?

आने का कोई अहद...

निभाने के लिए कोई वादा

तुमने किया ही कब था !


पर वो नाहक सी कोफ़्त,

वो बिना वजह की उलझन

नहीं हुआ करती मुझे अब...


इन लहरों के 'उतार' से...

इस 'डूबते' हुए सूरज से...

मोहब्बत जो हो गयी है !!



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