"दर्द-ए-आग़ाज़-ए-मोहब्बत"
"दर्द-ए-आग़ाज़-ए-मोहब्बत"
अपनी मोहब्बत उनसे छुपाया नहीं जाता
मोहब्बत है उसी से ये बताया नहीं जाता
ऐसे ही गुजर जायेगी जिंदगी अपनी,
बेवजह किसी पे कीचड़ उछाला नहीं जाता
शदीद मोहब्बत है उसी से लेकिन,
बेवफाओं को वफ़ा की राह में चलना सिखाया नहीं जाता
शबाब बीत रहा है उन्हीं की आंचल में,
शराब पी है मैंने ये दिखाया नहीं जाता
हिज्र की रात काट सकते थे हम लेकिन,
पर पुरानी यादों को भुलाया नहीं जाता
अंदाजा वो नहीं लगा पायेंगे मेरी अफ़सुर्दा का,
हंसते चेहरे से गम को छुपाया नहीं जाता
वो उनके साथ खुश है अपनी हयात में अब,
ये समझ कर भी खुद को समझाया नहीं जाता
फ़ारिग हो गया ये दिल उनके दिल से इस क़दर,
प्रसून इस तरह खुद को रुलाया नहीं जाता।

