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Aishani Aishani

Romance

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Aishani Aishani

Romance

हरी दूब का निकल आना

हरी दूब का निकल आना

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भावों की नदी

सुख चुकी थी,

जीवन के कैनवास पे

उतरती हर तस्वीर

उदास एवं बे-रंग थी,

जीने लगी थी मैं इनके साथ

पाषाण सादृश्य होकर,

तभी आकर तूने

मन के उस कोने को

हौले से स्पर्श किया,

जहाँ केवल कैक्टस ही कैक्टस,

ऐसे में तुम्हारा आना माानो

बंजर धरती पर

सावन की फुहार के साथ

झूमते हुए हरी दूब का निकल आना,

और फिर...!! 



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