तुम बिन..!
तुम बिन..!
जानती हो
तुम बिन कैसी है ज़िंदगी..?
ठीक वैसी
जैसे..
जल बिन मछली..!
और
प्राणवायु के बिना
जैसे..
कोई लेता हो श्वासें
बिन वर्षा के
जैसे झुलस जाती हों फसलें
और जैसे
बिन अनाज
बिन साँझा चूल्हा के
कोई मनाता हो लोहिडी
बस..
तुम बिन
ऐसी ही है ज़िंदगी..!