वो लाल रंग का ड्रेस
वो लाल रंग का ड्रेस
वो लाल रंग का ड्रेस जँचता है तुमपर
पहेली बार जब तुमको मैंने देखा
इसी लाल रंग के ड्रेस में देखा
जब जब देखूँ तुमको इस ड्रेस को
पहना हुआ सच कहता हूँ बहुत खूबसूरत लगी
हो तुम
गहरा लाल इतना जितना ढलते सूरज की
लालिमा का होता है
ना जाने कहाँ से बनकर आया हो
कसर दर्जी की है प्यार से बुनकर लाया हो
तलम है की हो मलमल छू लिया
तो फिसला जाये
सुराही सी गरदन और बांहों पे मीनारें
सोने की तार से हो बुनी जालीदार किनारे
तारों के बटन
है या सच में हो तारे
बड़ी प्यारी लगी है चुनरी पे गिरे हो जैसे सारे
वो छोटा मोर जो चुनरी के किनारे नाचता हो
जब जब लगे ऐसा हवाओं पे उड़ाती हो
एक पल सोच में पड़ जाता हूँ
तारीफ़ करूँ तो किसकी तुम्हारी या ड्रेस की
दोनों ही एक दूसरे की खूबसूरती में
पीछे ना गिरते
तुम ख्वाबों में चाहे सामने जब भी आओ
इसी लाल रंग के ड्रेस में आया करो
माना के और भी कई ड्रेस होंगे तेरे पास
ना जाने क्या इसमें कुछ तो बात है खास
जो हम दोनों को भाती है......