चांदनी रात है
चांदनी रात है
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चांदनी रात है
कोई सोया नहीं
सब जागे हुए
जैसे चांद
झील के पानी पर
तैर रहा
पेड़ झूल रहे
पत्तों के साथ
हवा डोल रही
जल की लहरों के साथ
नाव में बैठे
लोग
जग रहे
तक रहे
राह देख रहे
अपलक निहार रहे
टुकुर टुकुर देख रहे
आज की चांदनी रात का
श्रृंगार
चांद का अपने चांदनी के
संग
खुल्लम खुल्ला प्यार।