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प्रवीन शर्मा

Romance

4  

प्रवीन शर्मा

Romance

सावन के बादल प्यार में पागल

सावन के बादल प्यार में पागल

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जल्दी छत पर आ जा गोरी

हम बारिश बारिश खेलेंगे

तू अपनी छत पर रह लेना

हम अपनी छत पर रह लेंगे

खेल आज होगा ऐसा, जैसा पहले नही कभी

एक तरफ बादल और हम एक तरफ से खेलेंगे

नियम खेल का एक ही होगा

हम प्यार की शर्तें मानेंगे

फिसला मैं जो अगर तुम्हे भी साथ जमी छूनी होगी

बाद में कभी अगर चाहोगे, गोद में तुमको ले लेंगे

दर्द हुआ अगर हमको, तुमको भी रोना होगा

फिर तेरे आंसू हम अपनी आंखों से निकालेंगे

छत पर लेटेंगे हम दोनों पिघली पिघली बूंदों पर

अपने प्यार का पहला सावन आंखों में बसा लेंगे

बादल से फिर बोलेंगे हम दोनों की छत पर ही बरसो

सारी दुनिया भूल के हमतुम एक दूजे में खो लेंगे

जब सिर पर बूंदों की चुनरी ओढ़ोगी मैं बरसुंगा

सावन कोई रिश्वत लेलो ना रुकना जब खेलेंगे।


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