अक्स
अक्स
ममम अरे ओहो हम्म कहीं तुम वो तो नहीं,
देखकर बड़े दिखे दिखे से लगते हो।
ढेर सारी तस्वीरें, भीड़ लगी है आखों में,
याद नहीं आ रहा पर,यादों के ही लगते हो ।
मुस्कुराते भी नहीं, लगता है तुम भी भूले हो मुझे,
ना जाने क्यों तुम मुझसे बुद्धू ही लगते हो।
कुछ तो कहो, शायद मन में आवाज हो कहीं,
हाय होंठ हिलते नहीं, पक्का गूंगे ही लगते हो।
पलकें झपकना, आँखे मटकना सब मुझसा है,
पर तुम मैं नहीं हो, बस मुझसे ही लगते हो।
जो मैं सह गया अबतक, तुम कबके बिखर जाते,
अरे अक्स हो ना मेरे, तभी तो जुड़े लगते हो।
