सत्य है वो एकमात्र
सत्य है वो एकमात्र
पंख मिले पंछी बने, एक शरीर समाय,
फिर भी पंथी ही रहे, दुनिया एक सराय,
दुनिया एक सराय, वक़्त की पाबंदी है,
और पता भी नहीं सांसे कब तक बंधी है।
चौसर का सा खेल है दम दम खेला जाये,
पहुंचे कोई कहीं नहीं, पर चलता मेला जाये,
चलता मेला जाए, जन इक किरदार कई है,
क्या पता जो हुआ वो या चाहिए था वो सही है।
रिश्ते नाते भावना और स्वप्नों का अंबार,
जैसे जहर की रोटी के संग भरम का अचार,
भरम का अचार और दुख सुख चटनी भी है,
खाते खाते थक जाओ तो मृत्यु की गोद बनी है।
लगता कितना जुल्म है, कंधे है कमजोर,
दुनिया देश परिवार सब बोझ बड़ा घनघोर,
बोझ बड़ा घनघोर पता है बाद में चलता,
सत्य था क्या जब रंगमंच में पर्दा गिरता।
बचपन के दिन खेलते भरी जवानी आय,
फिर कुदरत का खेल हो वही जवानी खाय,
वही जवानी खाय बुढ़ापा बेक़दरो सा,
सभी में क्या सच, या तीनों ही रहे तमाशा।
जोड़ जोड़ कर ढेर बना, अपनी गाढ़ी कमाई,
फिर आगे तुम देखना प्रभुवर की चतुराई,
प्रभुवर की चतुराई सत्य है कड़वी भी है,
सत्य है वो एकमात्र, बात बस यही सही है।