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Rajjansaral

Inspirational

4.5  

Rajjansaral

Inspirational

गुज़ारिश

गुज़ारिश

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घटाओं से पपीहे की गुज़ारिश हो रही है ।

मोहब्बत की वो बारिश हो रही है ।।

घटाओं से पपीहे............

कहीं सूरज भी जाके छुप गया है । 

हमें लगता सिफारिश हो रही है ।।

घटाओं से पपीहे ...........

घटाओं से निकलकर बूंद जम जायें न देखो । 

बेचारे के मुक़द्दर से वो साज़िश हो रही है ।।

घटाओं से पपीहे ............

पपीहे सी ही है हालत हमारी ।

हमें दो बूंद मिल जाये ये ख़्वाहिश हो रही है ।।

घटाओं से पपीहे...........

रंग जो थे वो जीवन में, मिटें सब धीरे-धीरे ।

 कलम से आज रज्जन की , सिफारिश हो रही है ।।

घटाओं से पपीहे की गुज़ारिश हो रही है ।



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