गुज़ारिश
गुज़ारिश
घटाओं से पपीहे की गुज़ारिश हो रही है ।
मोहब्बत की वो बारिश हो रही है ।।
घटाओं से पपीहे............
कहीं सूरज भी जाके छुप गया है ।
हमें लगता सिफारिश हो रही है ।।
घटाओं से पपीहे ...........
घटाओं से निकलकर बूंद जम जायें न देखो ।
बेचारे के मुक़द्दर से वो साज़िश हो रही है ।।
घटाओं से पपीहे ............
पपीहे सी ही है हालत हमारी ।
हमें दो बूंद मिल जाये ये ख़्वाहिश हो रही है ।।
घटाओं से पपीहे...........
रंग जो थे वो जीवन में, मिटें सब धीरे-धीरे ।
कलम से आज रज्जन की , सिफारिश हो रही है ।।
घटाओं से पपीहे की गुज़ारिश हो रही है ।