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Rajendra Rajjan saral

Inspirational Others

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Rajendra Rajjan saral

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श्री राम अवतरण

श्री राम अवतरण

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सृष्टी हुई मगन है , भगवान आ रहे हैं । 

कौशल्या के भवन में सुख धाम आ रहे हैं ।।

 

काल, दिशा, पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु खुश हैं । 

आकाश, मन, व आत्मा स्त्री के वो पुरुष है ।। 

हर्षित नदी व वन हैं भगवान आ रहे हैं ।

सृष्टि हुई मगन है .....


मुझ काल के रचयिता, अवतीर्ण हो रहे हैं । 

यह सोच काल के दुख विदीर्ण हो रहे हैं ।।

पुलकित को काल मन है श्री राम आ रहे हैं ।


कहती है हर दिशाएं, अवधेश चंद्र आए । 

आशा है एक उनकी दर्शन वो उनका पाएं ।।

करती उन्हें नमन है अभिराम आ रहे हैं ।


पृथ्वी हुई अनंदित मुख समाचार सुनकर । 

भू देवी आज बैठी मिलने को सज संवरकर ।।

कैसी अजब लगन है 


नदियां भी आज निर्मल हो गान कर रही हैं । 

गंगा के दिता का वो अब ध्यान कर रही है । 

हमसे भी अब मिलन है प्रभु राम आ रहे हैं ।


हैं पवन देव सोचें स्वागत करूंगा मैं भी ।

श्री राम चन्द्र का मुख देखा करूंगा मैं भी ।।

यह सोचते पवन है भगवान आ रहे हैं ।


स्वामी के आगमन पर आकाश भी है पुलकित । 

श्याम वर्ण से वो अब हो रहा अनन्दित ।।

झूमता गगन है घनश्याम आ रहे हैं ।


मन को सुमन बनाने अवतार हो रहा है । 

दुःख के है दिन जो बीते तू फिर क्यूं रो रहा है ।। 

अब सुख का आगमन है भगवान आ रहे हैं ।

सृष्टि भई मगन है .........


नक्षत्र पुनर्वसु है नवमी तिथी है पावन ।

बैकुंठ छोड़ कर के आए त्रिलोक भावन ।।

निज भाव समर्पण है सुखधाम आ रहे हैं ।


जन्मे है आज राघव कौशल्या जी के घर में । 

नैया मेरी उबारो है जा फँसी भंवर में ॥

रज्जन तेरी शरण है ......भगवान आ रहे हैं।

सृष्टि हुई मगन है.........



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