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Radha Shrotriya

Inspirational

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Radha Shrotriya

Inspirational

कविता

कविता

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उम्मीद की शाख पर खिलती,

इक नाज़ुक सी लड़की है ! 

जुगनुओं का घर है उसकी आँखों में,

फूलों सी वो बातें करती है !


पहनती है खुशबुओं का पैराहन

तितलियों के संग संग उड़ती है ! 

चाँद उतरता है जब जमीं पर

 वो बादलों के झूले पर चढ़ती है !


फूलों के रंग कलम में भरकर,

ओस के मोती पलकों पे रखती है !

रेपिस्टों द्वारा मारी गई

अपनी नन्ही सखियों की कब्र पर जाकर


हर रात अपनी पलकों से

मोती तोड़कर रखती है !

हर रात उनके साथ कुछ पल के लिए

वो भी हर रोज मरती है !


किरणों के झुरमुट से झाँकते खुर्शीद ने

अभी अभी ये बोला है

उम्मीद के गर्भ में अब भी

ख्वाबों का एक घरौंदा है।


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