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Dr Hoshiar Singh Yadav Writer

Inspirational

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Dr Hoshiar Singh Yadav Writer

Inspirational

वक्त कहां रुकता है

वक्त कहां रुकता है

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पहिये की भांति वक्त, चलता रहता है,

झुकाता है जग को,स्वयं नहीं झुकता है,

हार गये हैं राजा,महाराजा इसके सामने,

सबसे बलशाली है,वक्त कहां रुकता है।


सतयुग आया लेकर,सच की ताकत को,

सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र आये पालनहार,

कष्ट सहे लाखों,सत्य मार्ग ही अपनाया,

वक्त रोया फूटकर, मिला जहां का प्यार।


त्रेता युग आया फिर,ले संग में तलवार,

थोड़ा सा पाप पला,मच गया हा-हाकार,

श्रीराम संग सीता, भक्त बन गये हनुमान,

वो पाठ पढ़ाया जन, मिला जहां का प्यार।


द्वापर युग में पाप बढ़े, मच गया एक शोर,

पापी कदम कदम पर, पाप कर्म करते घोर,

बांसुरी बजाते आये कृष्ण,मिटाया जग सारा,

वक्त रुका नहीं पल भी,रुके साधु, संत चोर।


कलियुग की अब बज रही, जगत में दुंदुभी,

त्राहि त्राहि करते सारे, वक्त के ही सब मारे,

कल्कि अवतार कब आएंगे, करते हैं इंतजार,

अब तो आओ हे देव, पुकार रहे तुमको सारे।


देव,गंधर्व,राक्षस,साधु संत और जग के लोग,

वक्त कहां रुकता है, लगा रहे हैं सुर में भोग,

राजा बलि झुक गया, वक्त की लीला न्यारी,

हर प्राणी झुका समक्ष वक्त, कैसा यह संजोग।


वक्त झुके नही, नहीं कभी यह रुक सकता है,

आगे बढ़ता जाये, पीछे नहीं कभी यह हटता,

वक्त से लडऩे की भूल, कभी तुम नहीं करना,

वक्त से लड़ा,नष्ट हो,बुद्धि बल भागों में बटता।


वक्त कहां रुकता है, यह गीत जग गुनगुनाएगा,

जो भी पैदा हो धरा पे, वक्त के गीत वो गाएगा,

वक्त हँसा खिलखिलाकर,आओ सामन कर लो,

वक्त बुरा हो तो,अंगुलियों पर जन को नचाएगा।



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