समय
समय
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समय अमर संसार में, कहते आये संत,
कितने आये लोग जहां,हो गया है अंत।
पहचान ले वक्त को, कर भलाई काम,
कैसा भूला रे अज्ञानी,होगी अंतिम शाम।।
वक्त को झुकाने चले थे,खुद झुक गये,
जीना चाहते थे मगर वो भूत बन गये।
सोच समझ से काम ले,वरना हो बुरा,
वक्त संग चल जरा,आंखें मत न चुरा।।
वक्त महान जगत में, यह है बलवान,
धन दौलत का गर्व,मिटा देता है शान।
सदियां बीत गई, समझ न पाया वक्त,
बदल अपने को, वरन बदल देगा वक्त।।
शाम ढले, दिन बदले, बीते वर्ष हजार,
बहुत सुंदर जहां में, कहलाता है प्यार।
हर चीज का जहां में, कहलाता आधार,
कर वक्त से दोस्ती,बाकी सब हैं बेकार।।
