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Dr Hoshiar Singh Yadav Writer

Others

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Dr Hoshiar Singh Yadav Writer

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रोम रोम केसर

रोम रोम केसर

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रोम रोम केसर घुली,

चंदन महके अंग,

कब जाने कब धो गया,

फागुन सारे रंग।


घर घर खुशियां मने,

फेंके रंग गुलाल।

खुशियों की सौगात है,

रंगे पीले व लाल।


पिचकारी के रंग सजे,

कितने ही हैं रंग।

मदमाता ये मौसम लगे,

जैसे पीये हो भंग।


दिनभर तो खुशियां मने,

और मने त्योहार।

घर पकवान खाकर लगे,

भरा हुआ है प्यार।।


धन दौलत फीका लगे,

तन में भरी उमंग।

याद रहेगी यह होली,

याद रहेंगे सब रंग।।



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