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Dr Hoshiar Singh Yadav Writer

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Dr Hoshiar Singh Yadav Writer

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मेरी पंक्तियां

मेरी पंक्तियां

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रंग गुलाल में सज रहे,

फागुन माह का है शोर।

मदमाती यह पवन चले,

मन को कर रही विभोर।।


गीत गा रहे बागों में भी,

बुलबुल, कोयल व मोर।

रंग डालते फिर रहे युवा,

मचा हुआ है एक शोर।।


लाल, पीले,नीले काले,

कई प्रकार के रंग डाले।

होली है भाई शोर मचे,

भागदौड़ पड़े पैर छाले।।


खाटू श्याम दर्शन चले,

भक्तों की कई टोलियां।

मन में मन्नत धारण करे,

भर दी सबकी झोलियां।।


गीत चले मदमस्त करे,

प्रेमी चोरी- चोरी मिले।

सामने जब प्रियतमा हो,

मन के बाछे तब खिले।।



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